Sunday, March 27, 2016

दास्ताँ

लिख लूँगा मैं
अपनी दास्ताँ
अपनी ज़ुबानी,

बस शान्त रहे चित्त
बराहे मेहरबानी।

क्षमा

दूर हो जब
आसमान की छत
और असुरक्षा सताये,

क्षमा है तुझे
बनाना
एक निजी छत
कुछ देर के लिए।

Monday, March 21, 2016

कम

दिल
न जले
किसी का
सो साँस कम लेते हैं,

धड़कनों
की धमक से भी
उबलते हैं
खूँ  यहाँ।

Saturday, March 19, 2016

क़रीब

उस मोड़ पर
गुरुद्वारा
अस्पताल
आज लगे
मुझे
कुछ और क़रीब,

होते देखा
मैंने,
प्रार्थना से इलाज
इलाज से प्रार्थना।

कोई और

तू नहीं
कोई और
होगा
ख़ुदा,

तुझसे तो
हुक्मरान
होते हैं
यहाँ!

Thursday, March 17, 2016

करार

वादा खिलाफ़ी
को बदनाम
आती ज़िन्दगी के लिए
क्यों आज मरुँ?

क्यों न करार ए मौत पर
करूँ यकीन
रोज़ जीऊँ!

अमानत

जो चीज़
आपकी भूली अमानत है,

किसी के लिए
कभी न भूले
वो नियामत है!

असर

मुझसे मिलकर
जाने उस दोस्त का
क्या हश्र हुआ है,

खड़ा है
अभी भी इंतज़ार में
या मुक्त हुआ है?

Tuesday, March 15, 2016

ख़ुदा

है भी
और दिखता भी नहीं,

शीशा वो ख़ुदा है
जो इंसां ने बनाया!

बाक़ी

जिन्नी
समझ आँदी ए
समझ लै,

बाक़ी,
जिदा हैंगा
ओहणु समझण्दे।

Monday, March 14, 2016

गणित

मत भर
अपने शून्य को,
रहने दे
इसका
आसमान
रिक्त,

झाँकता रह
हाशिये की खिड़की से
ब्रह्माण्ड का
गणित देख!

शहर

शहर
बसे रहें
तो अच्छा,

उजड़े
इंसां का
रहे आसरा
तो अच्छा।

त्वचा

सूखे जख़्म की
मुरझाई पपड़ी
की तरह
किसी रात
स्वतः उतर
कहीं गिर गई
इच्छाओं की इच्छा,

अस्तित्व की त्वचा
फिर
बचपन वाली
हो गई।

Sunday, March 13, 2016

बेरुख़ी

कितनी बेरुख़ी से
घूरते हैं हम
उस ज़िन्दगी को
जो आती है
मंसूबों की राह में,

वही बेचारी
मिलती है
मन्ज़िल पर
जब पहुँचते हैं
थक हार के!

Saturday, March 12, 2016

शोर

दुनिया
तेरे शोर ओ गुल में
मैं ख़ुद को भूल गया,

कब आया था मैं
यहाँ
तेरे लिए?

सब कुछ

कुछ नहीं है
अब
करने के लिए जैसे,
जीता हूँ
अकर्मण्य,

सब कुछ है
जैसे
हो चुका
या हुआ जैसा
ज़िन्दगी में,
सिवा
कुछ भी
न होने के!

Wednesday, March 9, 2016

क़ुसूर

क्या क़ुसूर
मेरे जिस्म का
जो ऐसा है,

क्या क़ुसूर
तेरे ज़हन का
जो वैसा है!

कविता

गिड़गिड़ाती है
हर शै
बनने को
कविता,
कि जाने दुनिया
मर्म उसका,

बनती है जब,
तो देख हश्र
होती है
कुछ और
उदास!

Tuesday, March 8, 2016

बारिश

कर तो ज़रा
पीठ
अपनी होश पर,
तेरे सन्न कानों में
एक बात कहूँ,

बनू
तेरी ख़ुमारी
के आसमान की
बारिश,
नसीहत से तुझे
तर करूँ।

मुर्गियाँ

मारी हैं
आपने
बहुत सी
मुर्गियाँ अपनी
सोने के अण्डों वाली,

बन्द होने को हैं
आपकी खुशहाली
के पोल्ट्रीफार्म
चुनौतियों की
आती सर्दियाँ।

दौर

मैं तो
ख़ैर
निकल ही गया
मुश्किल दौर से,

आपका
अच्छा वक़्त
हो गर बरक़रार
तो मिलो!

इंकार

इंकार तो
सब ने किया
मगर आपने
हस के,

आपसे
बात
न बन के भी
थे
बनने के
इम्कानात।

Monday, March 7, 2016

फिर

नहीं जानता
तुम कैसे करोगे,

मैं फिर माँगूंगा
इंसां की तरह
तुम फिर करना फ़ैसला
ख़ुदा की तरह!

उंगलियाँ

अभी
वक़्त है
कर ले
अपना भी निज़ाम
दुरुस्त,

उंगलियाँ
तुझ पे भी
हैं उठने को
देख
तेरी
बरक़त का आवंटन।

Sunday, March 6, 2016

मुख़बरी

सोचता हूँ
कर ही दूँ
मुख़बरी,

इशारे से
कह दूँ
उन्हें
कि बदलती है दुनिया
उनके ख़्याल से ज़्यादा,
उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़
उनकी नज़रों से परे!

बाक़ी

तेरे
कुछ सबक
हैं बाक़ी,


हासिल जवाबों से
मुतमइन!
अभी
सवाल
हैं बाक़ी।

कौन

करता हूँ
जब भी
ख़ुद से
कोई बात
तो सोचता हूँ,

किससे
हूँ कर रहा
और कौन हूँ मैं!

Saturday, March 5, 2016

कहे

कूड़ेदान में
कब तक
रहे कोई,

क्यों न हो
साफ़,
कहे
शहर कोई।

मिली

रह चला है
इस शहर से बाहर
देखने को
क्या कुछ
जाते जाते,

पा कर भी
कहाँ मिली
दुनिया मुझे!

Tuesday, March 1, 2016

ऐतबार

वो
लौट आये
इत्मिनान हमें,

हम
होते हैं रुख़सत
ऐतबार उन्हें।

ठहर

कुछ और है
तेरी
उदासी का सबब,

होने दे
वाज़े,
ठहर,
अभी उदास न हो।