Thursday, March 30, 2017

कतार

अभी तो
गर्मी
ठीक से
आई भी नहीं
और रूहें
पलायन को
कतार में हैं,

लू में
बिजली कटेगी
तो कैसी
भगदड़ होगी!

ख़बर

उड़ उड़ के
सरे आम
पहुँचे
गीत उसके
मुझ तक,
बीच में
किसी ने
न सुने,

नीले दाँत की
किसी को
कानों कान
ख़बर न हुई!

ज़रूरी

कभी
देह से बाहर निकल कर
सोच
कितना ज़रूरी है तू!

रूह को
कोई जानता नहीं,
यूँ देह को
कोई मानता नहीं!

कायल

दैवीय न्याय
बीच बीच में
कभी कभार
देखा तो है,
पर कायल नहीं हूँ मैं,

देखा है
उतना तो
आततायी को भी
करते तरस
अक्सर!

Wednesday, March 29, 2017

तजुर्बे

तजुर्बे
नाकाम भी होंगे
माँगेंगे कीमत भी,
पर
देना,

जो न बनी बात
तो देंगे
ज़हानत का बोसा,
जो सही बैठे
तो नए दरवाज़े खोलेंगे!

Tuesday, March 28, 2017

आग

क्या
इत्तेफ़ाक़ है ये
कि सचिवालय में
आग लगी है
जब कुछ ही दिन पहले
एक ईमानदार सरकार गिरी है?

दमकलों से कहो
कि भीगी राख़
समेटते आयें,
स्याही की कालिख़ में
आह दबी है!

कुछ अलग

चल
आज
कुछ कर के आयें,

पिक्चर
पिकनिक
क्लब
मैच छोड़,
लौंग ड्राइव भी नहीं,
मोमबत्ती पकड़
धरना दे कर आयें,

चल
आज
कुछ अलग
करके आयें।

Monday, March 27, 2017

बोटी

बोटी
मालिक
दुम,

गलियाँ
साथी
घूम,

सोये
जागे
धूम,

कुत्ते सी
ज़िन्दगी का
एक और दिन
गुम।

तारीफ़

इतनी तारीफ़ करोगे
तो बेचारा
संभलेगा कैसे?

अभी तो
नेगेटिव में चल रहे हैं
अच्छे अच्छे
तजुर्बे उसके,

न्यूट्रल से पॉज़िटिव में आयेंगे
तो सहेगा झटके कैसे?

किसे

सूरत को तेरी
या दूँ
सोच को
तरजीह,

कहाँ लगाई है
फ़ेयर एंड लवली
और ज़रूरत कहाँ है!

Sunday, March 26, 2017

पोल

किसी इंसान के आगे
ज़माने और ज़िन्दगी की
पोल खुल जाए
तो वो कैसे जियेगा!

वैसे ही जी
हंस हंस के
देख
करिश्मे
तमाशे।

Saturday, March 25, 2017

गठरी

आज भी
'गर
तेरे
वही सवाल हैं,

ऐ मुसाफ़िर ज़हीन,
तेरी गठरी के
बेकार
सभी जवाब हैं!

Friday, March 24, 2017

गोत्र

आपकी
कविताओं के
गोत्र की ही हैं
शायद
रचनायें मेरी,

सीरत मिलती है
बहुत कुछ,
तेवर भी
पहचाने से हैं!

कौए

कौओं से
पुकारते तो हैं
हर गली
रास्ते की
ईमारत
खम्बे
दीवार से,

आगन्तुकों
अतिथियों के
मगर
सादर सूचक नहीं,
बाज़ारों के बन्धुआ हैं
ये इश्तहार
छोटे बड़े...

Monday, March 13, 2017

दूसरा किनारा

8 घण्टे दी नींद
जिवें 5 कु मिनटाँ च लै के
मैं फ़्री सी!
मौत नालों ए डीप स्लीप
अलेहदा
ख़ौरे किवें सी?

होवेगी
बेशक़
इक दे उस पार
कोई नवीं दुनिया,
दूसरे दे किनारे वी ताँ
इक अनदेखी सवेर सी!

Saturday, March 11, 2017

व्यापार

एम बी ए!

व्यापार करेगा?

मुफ़्त में बेचेगा
क्रोध
या
मंहगे में देगा?

Friday, March 10, 2017

शुक्रिया

तेरे धोख़े का
शुक्रिया,

कीमती सबक
बहुत कम में मिला!

Monday, March 6, 2017

टिफ़न

चढ़ी दोपहर
स्कूल में
खोलते हैं जब
टिफ़न
बच्चे,
बंधा पाते हैं
फिर
सुकून की सुबह का
ताज़ा टुकड़ा,

माँ वालों
के नित में
सूरज कई बार है चढ़ता।

Saturday, March 4, 2017

आराम

लो यहाँ अपने सफ़र को
देता हूँ विराम,
थक कर चूर मगर बेहद ख़ुश
रूह को आराम देता हूँ,

कह देना ज़माने को
बड़ा शुक्रगुज़ार था मैं,
उसके हर मन्ज़र को
तहे दिल से सलाम करता हूँ,

था मैं अलबत्ता
किसी और मिट्टी का,
सो इस मिट्टी को वापस बा अदब
साज़ ओ सामान करता हूँ!

महफ़िल

हो
एक ऐसी भी महफ़िल
जहाँ
न शम्मा, न परवाना हो,

पिघल पिघल के
जले
मेरा ही वजूद,
तेरी ही रूह को
नज़ारा हो!

समन्दर

मोतियों के समन्दर में
रखना आँसू सम्भाल के,
खो जाओ जो किसी रोज़
तो इनमें ही मिलोगे!

Friday, March 3, 2017

क़ीमत

मत कर
ख़ुद को
लहू लुहान
गर इस कदर
आरज़ू है तेरी,

एक सबक और
सीख ले,
क़ीमत दे दे।

तौबा

एक बार
डस्वाकर
करूँ
सर्प से
तौबा,

न उसे
रहे मलाल
न मुझे रहे!

Thursday, March 2, 2017

क्राँति

क्राँति
को पता है
कि उसे
कब क्यों कहाँ
कैसे होना है,

बरस के होना है
या रिस के होना है!

अब तो

इन्सां,
अब तो
टाँगे काटने की सोच,

न तो
और चादर बढ़ाने की
कुव्वत है तेरी,
न पसारी तमन्नाओं
के सिमटने के इम्कानात।