Saturday, September 2, 2017

राज़

पूछा
ज़माने ने
शाह ए अमीर की खड्ग से
जब
निडरता
निश्चय
कर्म
इंसाफ़ के
हौसले का
राज़,

चमकती
कृतार्थ
आँखों से चूम ली उसने
कमरबंद की वो दूसरी
ख़ामोश शमशीर
जो थी पीर ने बख़्शी!

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