Monday, September 11, 2017

काँच की खिड़की

रात
आयेगा
बर्फ़ानी तेंदुआ
ऊँचे दर्रे पर
खुली घासनी में बने
सुनसान विश्राम गृह की
ज़मीन से छत तक लम्बी
काँच की खिड़की
से झाँक
देखने तुम्हें
स्वर्गीय नींद में सोये...

फिर छोड़
पंजों के निशानों के तोहफ़े
परिक्रमा में
तुम्हारे देखने को अगली सुबह,
चला जायेगा
मुस्कुराते
तुम्हारे रोमाँच की वादी में!

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