Saturday, September 16, 2017

तीर

चुभते हैं
आपके तीर
मगर इन का
इंतज़ार रहता है,

तड़पता है
हर झूठ
दम निकलने से पहले,
फिर मुक्ति की उम्मीद में
इत्मिनान करता है!

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