Sunday, September 10, 2017

अब्दाली

आया है फिर
बार चौथी
लौट 1764 से
संग बलूचों के
अब्दाली
लिए
अबके
निहत्थों की फ़ौज
ढक सिर
माँगने
हरि के मंदिर में
ईलाही से माफ़ी,

मायूस है मग़र
बे इंतहा
देख खड़े
दरवाज़े पर
गुरु बख्शों की जगह
ये कौन से ग़ाज़ी!

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