Sunday, September 8, 2019

धन्यवाद

एक एक
दो दो
चन्द
वार
तो कई राहगीरों नें किये थे,
अब कहाँ कहाँ जाये
ज़ख़्मी मुर्दा
क़ातिल ढूँढने!
क्यों न
ज़ख्मों के रुक्कों में
मनःस्पर्श से
बूझे उनका रूहानी पता
और
मोक्ष के लिए
धन्यवाद कहे।