हमसफ़र, हमराज़, हमख़्याल थे गर हम इतने,
दम आख़िरी तन्हा मेरे हमदम क्यों पीना पड़ा।
Thursday, January 31, 2019
सफ़र
हज़ार चाहा कि दबे पाँव गुज़र जायें उस दहलीज़ से,
गुज़र गुज़र कर उसी रहगुज़र से गुज़रना पड़ा।
आई तो ज़रूर वो मन्ज़िल उस सफ़र के बाद,
हाय उस सफ़र को किस किस मुक़ाम से गुज़रना पड़ा।
Subscribe to:
Posts (Atom)