Wednesday, August 31, 2016

कुट्टी

इधर
कुछ दिनों से
कविता की
कुट्टी है
मुझसे,

कलम की
टॉफ़ी दिखा
जब भी बुलाता हूँ उसे,
चुप्पी के गाल फुला
शब्दों की बाहें लपेट
मेरे दिल के कोने में
बेटी सी
बैठी रहती है रूठी।

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