Monday, October 17, 2016

भविष्य

ज्योतिष नहीं हूँ
मगर देख रहा हूँ
भविष्य,

नहा धो
हो तैयार,
छोड़ पीछे
संयुक्त राष्ट्र के मसले,
बस संवार कंघी से
अपने ही सर के बालों की उलझनें,
सजा मुस्कुराते चिकने गालों पर
माँ के प्यार में भीगा चमकता बोसा,
निकल रहा है
गलियों से
जुड़ते सैलाब की तरह,
टाँग पीठ पर
आज भर बस्ते
स्कूलों की ओर...

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