साँसों की तितलियाँ
Wednesday, September 18, 2013
सागर
हैरान था
जब सुनता था
कहते थे वो
जाम को सागर,
हूँ अब
मुतमइन
जब
तैर आया हूँ
साहिल-ए-सहर
डूब कर
रात भर।
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