साँसों की तितलियाँ
Monday, February 29, 2016
भटकन
भटकन तेरी
कहीं
पहुँच
जाने
का
पैग़ाम देती है,
तू
कहाँ है
पूछ तो ज़रा
रास्तों के
वादों से!
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