Saturday, February 6, 2016

ग़रीब

ख़रीद
तो लाऊँ
आसमान
पहाड़
नदियाँ,

वो घर
कहाँ से लाऊँ
जहाँ
रखूँ
इनको,
अभी
ग़रीब हूँ!

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