खपरैलों की छतों तले
पक्के हौसले वाली कच्ची दीवारों से सटी
आसमानी नाको की एक गली में छुप
कतार के अनुशासन में खड़े थे
बिन खूँटे बिन रस्सियाँ
बिन चारा बिन पानी
चमड़े की काठी पहने
लोहे के मवेशियों से
थके मगर अभी भी जोश से भरे
निराली नस्ल के
अभी भी भभकते गर्म
वो
प्रवासी
रॉयल एनफ़ील्ड!
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