Thursday, June 22, 2017

मवेशी

खपरैलों की छतों तले
पक्के हौसले वाली कच्ची दीवारों से सटी
आसमानी नाको की एक गली में छुप
कतार के अनुशासन में खड़े थे
बिन खूँटे बिन रस्सियाँ
बिन चारा बिन पानी
चमड़े की काठी पहने
लोहे के मवेशियों से
थके मगर अभी भी जोश से भरे
निराली नस्ल के
अभी भी भभकते गर्म
वो
प्रवासी
रॉयल एनफ़ील्ड!

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