साँसों की तितलियाँ
Monday, July 13, 2015
ख़्याल
रख
अपने जिस्म का
ख़्याल
अभी
कुछ और,
रूह की
तमन्नाएँ हैं
बाक़ी,
इंतज़ार
कुछ और...
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