Thursday, August 6, 2015

मुस्कुराहट

बार बार
उठते सूरज ने
पूरब की हवा का
दम भर
चोटी की
शफ़्फ़ाक़ बादल
चुन्नी सरकाई...

हर बार
दिखी
कुछ और
ढलानों पर
बर्फ़ की चाँदी,
हर बार
वादी के चेहरे पर
मुस्कराहट की सुबह
कुछ और खिली।

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