Saturday, December 23, 2017

शुक्रिया

भभकते सूरजों
झूमती हवाओं के समन्दरों
दृढ़ संकल्प पर्बतों का
प्रावधान है
ऐ फूल
तेरे लिए,

मुस्कुरा दे
खिल कर ज़रा,
नहीं और
तो शुक्रिया के लिए...

No comments:

Post a Comment