भभकते सूरजों झूमती हवाओं के समन्दरों दृढ़ संकल्प पर्बतों का प्रावधान है ऐ फूल तेरे लिए,
मुस्कुरा दे खिल कर ज़रा, नहीं और तो शुक्रिया के लिए...
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