उग आए हैं हर तरफ़ ज़हरीले विचारों के कुकरमुत्ते, ये कैसी हुई है तेज़ाब की बारिश अब के! उभर उभर कर आये हैं चरित्र सब के, ये किस किस के उतरे हैं हिजाब अब के!
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