साँसों की तितलियाँ
Thursday, June 18, 2015
रश्क़
ऐ
अंधे,
नहीं है
अब
तुझसे
रश्क़
कोई,
कि
मिल गई है,
सुन,
मुझे,
बटेर
अपनी।
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