साँसों की तितलियाँ
Friday, June 12, 2015
पैर
पैर
खींच लिए
हर बार
किनारे पर ही
कुछ और
पीछे,
हमने भी
कहाँ
भीतर के
दरिया का
दामन
छोड़ा।
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