Saturday, June 20, 2015

ब्राह्मण

ऐ पण्डित!
जानता हूँ
ब्राह्मण है तू!

फिर क्यों
नोचता है
त्रस्त आत्माओं के
मन के डर का
माँस
भविष्य का
चाकू दिखा!

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