“अंकल! क्या दोगे तोहफ़े हमें इस जन्मदिन पर?"
- दोनों बच्चियों की रूहों नें गुज़रते मुझसे पूछा,
“गर हो सके बदलवा देना हमारे पत्थरों पर फड़फड़ाती ये पुरानी फीकी फटी झण्डियाँ..."
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