Monday, March 14, 2016

त्वचा

सूखे जख़्म की
मुरझाई पपड़ी
की तरह
किसी रात
स्वतः उतर
कहीं गिर गई
इच्छाओं की इच्छा,

अस्तित्व की त्वचा
फिर
बचपन वाली
हो गई।

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