सोचता हूँ कर ही दूँ मुख़बरी,
इशारे से कह दूँ उन्हें कि बदलती है दुनिया उनके ख़्याल से ज़्यादा, उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ उनकी नज़रों से परे!
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