साँसों की तितलियाँ
Thursday, March 17, 2016
करार
वादा खिलाफ़ी
को बदनाम
आती ज़िन्दगी के लिए
क्यों आज मरुँ?
क्यों न करार ए मौत पर
करूँ यकीन
रोज़ जीऊँ!
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