Wednesday, August 14, 2013

अंगूर

खोल कर
सबकी गाँठें,
छत पर,
धूप में
खुला छोड़ दो

जो
परिंदों से होंगे,
उड़ जायेंगे,
बाक़ी
खट्टे सवालों
के अंगूर
किश्मिश बन
सूख जायेंगे।

उतार लाना
खीर में डाल
रोज़ खाना ।

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