साँसों की तितलियाँ
Friday, August 9, 2013
सफ़र
गर
सफ़र
ही है
मंज़िल
तो
ऐ दिल ए नादान,
चुपचाप
खड़ा रह
मंज़िल पर,
सफ़र न कर
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