Monday, January 26, 2015

सुबह

पीठ
मुड़ी है
तेरी
उस पर,
सूरज तेरा
अभी
डूबा
नहीं है,

अभी तो
हुई है
रात की
सुबह,
सुबह की
शाम
नहीं है।

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