Saturday, January 17, 2015

फूल गुब्बारे

छोड़ दिए
जब
मैंने
तमन्नाओं
बेहलावों
के रंग बिरंगे
फूल
गुब्बारे
ज़िद के
हाथों से,
जाने दिए,

देखते रहे
पहले तो
दूर तक,
मुझे,

फिर
हो ओझल,
आसमाँ से
अगली रुत
मुझ ही पर
बिन बताये
इन्द्रधनुष
के बहाने,
झमाझम
बरस गए।

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