छोड़ दिए जब मैंने तमन्नाओं बेहलावों के रंग बिरंगे फूल गुब्बारे ज़िद के हाथों से, जाने दिए,
देखते रहे पहले तो दूर तक, मुझे,
फिर हो ओझल, आसमाँ से अगली रुत मुझ ही पर बिन बताये इन्द्रधनुष के बहाने, झमाझम बरस गए।
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