सूरज दी बत्ती बुझा के जला के, पलट छण्ड के धरती दी ओही चादर रातों रात सानू सवा के,
सवेरे कह दित्ता सवेर ने कि "लवो नवाँ दिन,नवीं ज़िन्दगी,नवां मौका",
असीं वी भोलेयाँ नें सुण के मन्न लेया, इक कोशिश ज़िन्दगी दी होर च लग पये ख़ुशी ख़ुशी फेर!
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