नहा कर
सड़क किनारे की धूल में,
संवार कर उंगलियों की कंघी से
उलझे लाचारी के बाल,
पहन किसी के उतारे अपने नवीन कपड़े,
उठ जाते हैं आजकल
इतनी सवेरे
क्यों
ये सारे माँगने वाले
दफ़्तरों के वक़्त से ठीक पहले
रास्तों में
ताकते कर्मचारियों की राहें?
यक़ीनन इन्हें भी हैं
बहुत उम्मीदें
दो फ़रवरी को होने वाली
सातवें वेतन आयोग की बैठक
के नतीजों की!
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