Saturday, June 11, 2016

दरिया

रख
दिल पर पत्थर,
और
गुज़र जा,

हैं
और भी
लम्हें
इंतज़ार में
गुज़रने को।

बह जा,
ऐ दरिया!
लहरों में छिप,
मिलने
सागर से अपने,

रहे समझता
ज़माना
कि यहीं है तू,
दे जगह अपनी
किसी और
रवानी को।

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