रख दिल पर पत्थर, और गुज़र जा,
हैं और भी लम्हें इंतज़ार में गुज़रने को।
बह जा, ऐ दरिया! लहरों में छिप, मिलने सागर से अपने,
रहे समझता ज़माना कि यहीं है तू, दे जगह अपनी किसी और रवानी को।
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