साँसों की तितलियाँ
Wednesday, June 29, 2016
अर्पण
न ओ
मंगता ए,
ते
न ऐ
कोई
तमाशा ए,
इंज
न सुट्टो
सिक्के
पैसे,
अर्पण नहीं
समर्पण चढ़ावो।
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