Wednesday, December 5, 2012

प्रेयर


गोरे गोरे
पायल वाले
छोटे छोटे
पैरों से
छम छम नाचती
उछलती कूदती
चहचहाती
नन्ही पारुल ने
जब
मम्मा पापा को
फिर से
लड़ते-झगड़ते देखा
तो
ठिठककर
रुकी
मुड़ी
और सहमकर
दबे पाँव
दूसरे कमरे में जाकर
पलंग पर
बिना सहारा
चढ़कर
पायलों, पैरों और खुद को
रजाई में
चुप करा
साँसें रोक
आँखें बंद कर
जाने कब सो गई ।

सुबह
जब आँख खुली
तो
नींद के साथ
पारुल की
रात वाली
यादें भी
पलकों से उड़ गईं ।

पायलें फिर बोल पड़ीं
पारुल फिर चहक उठी ।

आफिस गये पापा
शाम को लौटे
और पारुल को सुनाते
मम्मा से बोले

"आज बाहर खाना खाने चलें?"

"क्यों?"
मम्मा ने पूछा ।

"आज के बाद कभी झगड़ा नहीं करेंगे
इसे सेलिब्रेट करने के लिये"

"अचानक ऐसा क्यों?"
मम्मा ने फिर पूछा ।

"लगता है
किसी ने
कल प्रेयर की थी"
पापा बोले ।

पीछे खड़ी
पारुल को
सब याद आ गया ।

खुशी के मारे
डरे होटों से
बस बुदबुदाई

"मैंने की थी, पापा"

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