Thursday, September 17, 2015

रोशनदान

घुस आती थी
दुनिया
मेरे ज़हन के मकान में
आँखों की खिड़कियों
कानों के दरवाज़ों से,
करुणा के रोशनदान खोले
तो जान में जान आई।

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