साँसों की तितलियाँ
Thursday, September 17, 2015
भटकन
तेरे सिवा
है भी कौन
जो भटकूँ मैं,
क्यों ज़ाया करूँ
मैं
वक़्त,
तुझको
ढूँढ़ूँ मैं?
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment