साँसों की तितलियाँ
Tuesday, September 22, 2015
निशान
स्याह
पंजों
के निशान
छोड़ रहा हूँ
काग़ज़ के
जंगलों में,
शायद
कोई गुज़रे
यहाँ से,
मिले मुझे।
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