साँसों की तितलियाँ
Wednesday, April 29, 2015
तजुर्बा
उलझा के रखा
है मुझे
कि जागूँ न,
कमाल
तजुर्बा
आपका
मेरे ख़ुदा,
गर जानूँ न!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment