भीग ले कुछ देर साफ़ बारिश के पानी में मेरी पीठ पर बंधे ईश्वर के बच्चे,
झुका लेने दे खुली छतरी पैरों के पास एक तरफ़,
अंधी कारों के बेसब्र पैरों से उछलते निज़ाम की टूटी सड़कों में भरे नियती के कीचड़ से तुझे बचाने|
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