Thursday, April 9, 2015

छतरी

भीग ले
कुछ देर
साफ़
बारिश के पानी में
मेरी पीठ पर बंधे
ईश्वर के बच्चे,

झुका लेने दे
खुली छतरी
पैरों के पास
एक तरफ़,

अंधी कारों
के बेसब्र पैरों से उछलते
निज़ाम की टूटी सड़कों में भरे
नियती के कीचड़ से
तुझे बचाने|

No comments:

Post a Comment