Sunday, April 12, 2015

शुक्रगुज़ार

लाखों
लटके हैं
उल्टे
महीनों से
अंधेरे गर्भों में,

अधर
भरे हैं
इंतज़ार में
ज़िन्दगी की
जिसके आप
शुक्रगुज़ार नहीं!

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