तड़पता हूँ क़ैद गोली सा जिसे बात बात पर दागता हूँ, मिल जाती है जलकर उसे खुली फ़िज़ा, मैं पीछे फिर नली में धूएँ सा भटकता हूँ !
No comments:
Post a Comment