न रहे हुण ओ मुग़ल न तुर्क, ते ना हुण ओ अफ़ग़ानी रहे,
सरहदाँ नूँ हुण ए सिर्फ़ एस तरफ़ दी चिंता, ऐना पंजाबियाँ तों पंजाब बचाओण लई ओ पंजाबी ना रहे!
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