Thursday, July 21, 2016

शक़

बिना ईंधन के
घूमते हैं
कैसे
ये धरती
ये चाँद
ये सितारे!

अब तो
पूरा शक़ है मुझे
कि सपना देखता हूँ मैं,
मेरा ज़ोर है
लग रहा।

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