किया है इस तरह उसने मुझे सलाम आखिर क्यों?
जानता है क्या बारे में मेरे, है बेतकल्लुफ़ जो मुझसे यूँ!
इससे बेहतर कि अनदेखा करे मुझे, पहचानता नहीं मुझे, अजनबी ज्यों।
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