Saturday, September 27, 2014

हाथ

कीड़े
मकौड़े
सा है,
भिनभिना
और
गुज़र जा,

या
याद कर
तू है
भंवरा,

फूलों के
पराग को
नियती
से मिला,

कायनात
के
निज़ाम में
कुछ
हाथ बंटा।

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