क्या करूँ ख़र्च चौबीस में एक भी अशर्फ़ी, मनोरंजन के प्यालों पे, भटकन की हाटों में,
भरा है पेट सुकून से, वजूद की ज़ुबान पर ज़ायका कमाल है!
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