Saturday, September 27, 2014

ज़ायका

क्या
करूँ
ख़र्च
चौबीस में
एक भी
अशर्फ़ी,
मनोरंजन
के
प्यालों पे,
भटकन
की
हाटों में,

भरा है
पेट
सुकून से,
वजूद की
ज़ुबान पर
ज़ायका
कमाल है!

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