Monday, September 8, 2014

याद

क्या बात है?

बड़ी
याद आ रही है
गाँव के
खेतों की?

देखते हो
अर्श की
छत को
सीली पुतलियों से!

कहूँ
आसमान से
कि न चलाये
हवा के हल
बादलों पे,
यूँ
क्यारियाँ सी
न बनाये!

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