Saturday, September 13, 2014

घुंघरू

स्याही
के घुंघरुओं
को बाँध
जब
थिरकते हैं
काग़ज़ पर
कलम के
पैर,

कहाँ कहाँ
से
खिंचे
आते हैं
हर्फ़ों
के
घुटे
सामयीं,                  (audience)
हवा में
खुल कर
जज़बात
लुटाते हैं।

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