स्याही के घुंघरुओं को बाँध जब थिरकते हैं काग़ज़ पर कलम के पैर,
कहाँ कहाँ से खिंचे आते हैं हर्फ़ों के घुटे सामयीं, (audience) हवा में खुल कर जज़बात लुटाते हैं।
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