गूँजता हूँ गर आज भी कानों में तुम्हारे, मन की आँखों से रु ब रु दिखता हूँ,
हूँ ज़िंदा जब यादों में तुम्हारी क्यों जताते हो दर बदर कि मुर्दा हूँ!
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