शहर के बीच वाले कोने में, आधी रात बंद दरवाज़ों के पीछे चुपचाप गाने बजाने से भी जब न मिली अहम् को मुक्ति, घुटन बे इन्तेहा हुई, खोलनी ही पड़ी खिड़कियाँ चलाने ही पड़े लाऊडस्पीकरों के पंखे तब आराम मिला|
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