Saturday, March 28, 2015

आराम

शहर के
बीच वाले कोने में,
आधी रात
बंद दरवाज़ों के पीछे
चुपचाप
गाने बजाने से भी
जब
न मिली
अहम् को मुक्ति,
घुटन बे इन्तेहा हुई,
खोलनी ही पड़ी खिड़कियाँ
चलाने ही पड़े
लाऊडस्पीकरों के पंखे
तब
आराम मिला|

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